***लोहा**
******
*आज मैं अपने मित्र से मिलने अस्पताल गया ,बहुत ही कमजोर हो गया था मेरा मित्र ,डॉक्टरों से पूछने पर पता चला उसका ब्लड प्रेशर बहुत बढ़ गया था ,शायद उनको चिन्ता है ।जो इन्हें अन्दर ही अन्दर खाये जा रही है ।
मैं अपने मित्र के कमरे में उससे मिलने गया वह अभी सो रहा था ,शायद डॉक्टर ने दवा दी थी उससे नींद आ गयी थी ।
मैं अपने मित्र के लिये फूलों का गुलदस्ता ,थोड़े फल और जूस ले गया था । मैं खाली बैठा-बैठा सामने पड़ी मैगज़ीन उठा कर पढ़ने लगा ।
थोड़ी देर में मेरे मित्र की आँख खुली ,मैं तो एक लेख पढने मैं व्यस्त था । मेरा मित्र सामने पड़े फूलों को देखकर फूलों की तरह मुस्करा रहा था ,एकाएक मेरी नज़र मेरे मित्र पर पड़ी ,मैं बोला क्या भाई हमेशा ऐसे ही नही मुस्करा सकते मित्र बोला तुम अगर रोज यूं ही मुझसे मिलने और ये खिले फूल मेरे लिये लाते रहो तो मेरे को कोई गम नहीं ।
इतने में नर्स आ गयी दवा का समय हो गया था ।
नर्स के जाने के बाद मित्र बोला यार कुछ मीठा खिला दो ये कड़वी दवाओं से मुँह कड़वा हो गया है ,मैंने उसे सेब काट कर खिलाया ,
मैंने अपने मित्र से पूछा यार तुम्हें किस बात की चिंता है ये जो चिन्ता है ना, तुम्हे अन्दर ही अन्दर खोखला कर रही है,मित्र बोला बस अपने बेटे की चिन्ता है मेरा कहा नही मानता मैं चाहता हूँ कि वो मेरे व्यपार में मेरा बेटा सहयोग करे मेर व्यापार इतना बड़ा है अच्छा खासा चल रहा है ,औऱ मेरे बेटे को देखो अपनी ही दुनिया मे मस्त रहता है कहता है मैं खुद अपने ढंग से कम करूंगा ।
मैंने मित्र को समझाते हुए कहा कोई बात नही तुम्हारे बेटे के भी अपने सपने हैं करने दो उसे उसके मन की ।मुझे पता है तुम्हारा बेटा बहुत संस्कारी है ,तुम चिंता क्यों करते हो ।कुछ समय बाद वह तुम्हारे इस व्यपार को आसमान की ऊंचाईयों तक ले जायेगा ।

याद है तुम कहते थे मैं तो *लोहे का बना हुआ हूँ मुझे कुछ नही हो सकता ,कोई मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ,मैं जिस पर गिरूँगा वो टूट जायेगा जो मुझे मारना चाहेगा वो मुझसे टकरा के टूट जायेगा ,अब क्या हुआ लौह सिंह *अब तुम्हारी फौलादी ताकत कहाँ गयी ,क्या नाम के हो यार तुम भी लोहा सिंह ,जानते हो तुम मुझे कहते थे कि तू तो रुई का बना है ,और मैं लोहे का । लौह सिंह बोला हां -हां पर वक्त हर किसी को तोड़ देता है ।
मैं बोला अरे वाह लौह सिंह तुम तो बढ़े कमजोर हो ।
पता है, लौह सिंह तुम्हे तुम्हारी बेबात की चिन्ता के पानी जंक लग रहा है ।
तुम अन्दर ही अन्दर खत्म हो रहे हो,।*जिस तरह लोहे को कोई नहीं नुकसान पहुंचा सकता लेकिन अगर उस पर निरन्तर पानी पड़ता रहे तो उस पर जंक लग जाता है और वो अन्दर ही अन्दर खत्म हो जाता है *तुम्हारे साथ भी यही हो रहा है व्यर्थ की चिन्ता तुम्हें रोगी बना रही है ,स्वयम को व्यर्थ की चिंता के नरकसे बचाओ ,जानते हो जैसा हम सोचतें हैं वैसा होने लगता है । अच्छा सोचो अच्छा होगा मनुष्य के संकल्प शक्तियों में बहुत ताकत होती है ।


****कामयाबी**

💐💐💐*क़ामयाबी*💐💐💐💐

*कामयाबी * अपने-अपने जीवन में हर कोई सफ़ल होना चाहता है । और हर किसी के लिए कामयाबी के मायने अलग-अलग हैं। आज के आधुनिक समाज में कामयाबी के मायने सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना रह गया है ,वैसे देखा जाये तो ठीक भी है जिसके पास जितना अधिक धन दौलत होगी वो बेशर्ते कामयाब है ,क्योंकि वो अपने पैसे के बल पर दुनिया के सारे सुख हासिल कर सकता है ।
पर हाँ एक चीज जो बहुत अनमोल है और जिससे वास्तव में सुख मिलता है वो है मन की शांति जो धन से नहीं मिलती ,हाँ कुछ समय के लिए आपका मन बहला सकती है ,और फिर वही अशान्ति।
वास्तविक शांति मिलती है जो आपका दिल कहे वो करो जिससे किसी का बुरा न हो धन कमाइये पर अपनी खुशियों को दांव पर रख कर नहीं कहीं कल ऐसा ना हो जिन खुशियो के लिए आपने आज अपनी खुशियाँ दाव पर लगायी ,वो खुशियाँ जीने का जब समय आये तब आपके पास सम ना बचे ।

मेरे लिए तो कामयाबी वो है जहां काम करने में मुझे और मेरी आत्मा को सुकून मिल, मेरे और मेरे समाज के हित मे हो।

मेरा जीवन सफल है ,अग़र मैं जो भी लिखूँ वो कहीँ किसी एक का भी मार्गदर्शन करता हो ,वही मेरे लिए मेरी सच्ची कामयाबी है ।

*एहसास *


😊* बात हुयी जब एहसास की 
   एहसास की रूह से  
 एक और एहसास निकला
☺खुशियों वाले दिन और रात का।

एहसास वो एहसास है,जिसमें
जिन्दगी का हर लम्हा व्याप्त है।💐

💐खुशी हो या गम हो एहसास तो होता ही है।

💐खुशी का एहसास एक नशा है ,जिसे पाकर
इंसान सब भूल जाता है।
पर दर्दे एहसास जिसमे रूह पाक हो
उस दर्दे एहसास की बात बहुत खास है
वह एहसास खुद से मिलाने का बेहतरीन
            एहसास है ।

एहसास की रूह से आह निकली
बस करो एहसासों से खेलने का
     शौंक ना पालों ।

ये दर्दे एहसास है ,जख्म गहरे दे जाता है 
नासूर बनकर जीवन भर चुभन देते रहते हैं।

महफ़िल में मुस्कराते चेहरे पर एक मोती आकर 
गिरता है । वह मोती एहसास का दिलों में छुपे 
       एहसास का ।
जीवन की खुशबू एहसास 
        जीवन ही एक एहसास
कभी सुख ,कभी दुख,कभी रोशन करने को जग का एहसास।
बहुत खूबसूरत होता है परस्पर प्रेम का एहसास।**😢💐

**निशब्द**

निशब्द

एक व्यापारी था ,जिसका बेटा M.B.A करके आया था । पिता का व्यापार था ,पिता की इच्छा पहले से ही थी कि मेरा बेटा मेरा व्यापार संभाले ।
बेटे ने भी पिता की इच्छा के अनुरूप व्यपार में अपना योगदान दिया नयी तकनीक नये आयाम पिता जी थोड़े नाराज़ थे कि इतने पुराने तौर -तरीकों को मेरा बेटा बदल रहा है, कहते रहे अभी तक हम भी तो कम ही रहे थे और अच्छा ही कम रहे थे ।

लेकिन पिताजी जानते थे कि उनका बेटा बाहर से पढ़कर आया है कुछ तो बदलाव करेगा ही ,बस मन ही मन भगवान से प्रार्थना करते थे कि मेरा बेटा कामयाब हो ।

आखिर बदलाव के साथ बेटे ने पिताजी की गद्दी सम्भाली पिताजी की दुआओं और बेटे की कड़ी मेहनत से एक साल में अच्छा मुनाफा हुआ । बेटे ने पिताजी के चरण स्पर्श करते हुए कहा पिताजी मुझे एक पार्टी करनी है ,एक साल में व्यापार में अच्छा मुनाफा हुआ है ,पिताजी बोले जरूर बेटा पर पार्टी करके अपनी मेहनत का पैसा अपने यार दोस्तों में यूँ ही उड़ा दोगे ,अरे बुला लो अपने खास मित्रों को घर पर अच्छे से पार्टी कर लेंगे ,पर बेटा अगर तुम्हें खुशी ही मनानी है ,तो,किसी अनाथ आश्रम चल कर या वृद्धाश्रम जाकर गरीब जरूरतमंदों पर अपना पैसा खर्च करो ,बदले में अनगिनत दुआयें मिलेंगी ,और जानते हो उन दुआओं के बदले जो खुशी तुम्हे मिलेगी ना वो अनगिनत शाही पार्टियों से ज्यादा मनोरंजक और सुकून देने वाली होंगीं । अगर अच्छा न लगे तो पार्टी कर लेना और में भी आऊंगा तुम्हारी पार्टी में .....
☺बेटा आज्ञाकारी था ,पिता की बात मान गया सोचा चलो इस बहाने थोड़ा दान पुण्य हो जायेगा ।

अगले दिन बेटा अपने मित्र और पिता के साथ अनाथ आश्रम गया ,वहॉं बिन माँ बाप के बच्चों को देख उसका दिल भर आया बहुत देर तक वह उन बच्चों के साथ खुश रहा खूब मस्ती की बच्चों के साथ खेला उन्हें जरूरत्त का बहुत समान दिया ।सुबह से शाम कैसे हुयी पता ही नही चला ,बेटा मैन ही मन सोच रहा था वाकई मन को सच्चा सुकून मिला ।दोस्तों के साथ पार्टी करता तो उनके नखरे ये ठीक नही वो ठीक नहीं ।

अगले दिन बेटा अपने मित्र और पिता के साथ वृद्धाश्रम गया वहां भी उसे बहुत अच्छा लगा । वृद्धाश्रम से वापिस लौटते हुए बेटे की नज़र एक वृद्ध पर पड़ी ,उसे लगा अरे ये तो जाने पहचाने से लग रहे हैं ,वह उनके समीप गया जैसे ही उनको गौर से देखा ,अरे मेहता अंकल आप....यहाँ अंकल बोले बेटा अपना घर गिरवी रख कर बेटे को पढ़ाया था सोचा विदेश जायेगा बहुत पैसा कमा कर लायेगा और घर बच जायेगा एक बार आये थे थोड़े पैसे बेटी के ब्याह में लगा दिये। मैं अकेला अब सब के साथ रहता हूँ ,बहुत खुश हूँ यहाँ सब मेरे ही जैसे हैं ,उसने बहुत कहा अंकल आप मेरे साथ मेरे घर चलिये हम सब वहीं रहेंगे पर अंकल ने कहा ,मेरे जैसे बहुत सारे अंकल आन्टीयाँ हैं यहाँ किस -किस को ल् जायेगा । अंकल की बाते सुनकर बेटे कुछ नहीं बोल पाया । आत्मा में प्रश्न थे ,पर वह निशब्द था .......
अंकल से वादा जरूर किया कि वह उनसे मिलने अक्सर आता रहेगा


💐💐*कृषकों को नमन*💐💐

💐 **कृषकों को नमन**💐

💐💐सर्वप्रथम जीने के लिये *अन्न है आवयशक ।
* मैं कृषक मैं खेत जोतता हूँ उसमें बीज डालता हूँ
मेरी मेहनत रंग लाती है जब खेतों में फ़सल लहलहाती है
मेरे द्वारा उगाया गया अन्न सिर्फ मैं ही नहीं खाता हूँ
ना ही अन्न को गोदामों में भरता हूँ ,की कल मैं उसे ऊँची कीमत
पर बेच पाऊँ।💐

बस मेरी आवयशक आवयशकताएँ पूरी हो जाएं
मैं बस यही चाहता हूँ , पर कभी -कभी तो मैं साहूकार के
लोभ के कारण कर्ज में डूब जाता हूँ ।

मेरे परिवार की कई पीढ़ियों का जीवन कर्ज उतारते बीत
जाता है ,फिर भी वह कर्ज खत्म नही होता ।

*मैं किसान *अगर *अन्न नही उगाऊंगा तो सब भूखे मर
जाओगे ।
दो वक्त की रोटी के लिये ही मानव करता है
दुनियाँ भर के झंझट ।

अंत में पेट की क्षुधा मिटा कर ही पाता है चैन
एक वक्त का भोजन न मिले अग़र हो जाता है बैचैन

फिर जो हम मनुष्यों के लिये खेतों में उगाता है अन्न *
तपती धूप में कड़ी मेहनत , सर्दी गर्मी ,सूखा, या फिर
बाढ़ की मार ,किसानों को ही सहनी पड़ती है ।

माना कि कृषि किसानों का है पेशा
पर ये पेशा है धर्म मे सबसे ऊँचा ।*

मौसम की मार का मुआवजा देश आर्थिक सहायता से चुकाये
अपने देश के अन्नदाता ,भगवानो को बचाये ।

*किसानों का सम्मान करो उन पर अभीमान करो ।*

*दस्तान ऐ जिंदगी*

 💐💐खोजते रहे जिन्दगी भर ,मोहब्बतों के ठिकानों को ,
  ना ठिकाना मिला ना मोहब्बत मिली
   मिली तो बस तड़पते दिल की बेकरारी मिली
   मोहब्बत की चाहत तो मृगतृष्णा हुई ।
    फिर क्या था हमने स्वयं को ही मोहब्बत का
    फ़रिश्ता बना लिया ,मोहब्बत की अखण्ड जोत
    जला डाली ,अब मोहब्बते चिराग है जिससे रोशन
    हमारे जीवन का आफ़ताब है ।*💐💐

*💐सफ़र की शुरआत ही ,बड़ी हसीन थी 
फूलों के आशियाने में ,शूलों की भरमार थी ।
कहने को हम फूलों के संग थे ,पर हमारी 
मुलाकात तो हमेशा शूलों के संग हुयी ।
काँच की दीवारें थी, सच छुपाना मुश्किल था 
पर ना जाने कहाँ से हम में ये हुनर आ गया 
हमें दर्द छुपाकर मुस्कराना आ गया ।
जिन्दगी ने हमारे बहुत इनतिहान लिये 
हमें चलना भी नहीं आता था ,और हमें पथरीली 
राहों पर छोड़ दिया गया चलने के लिये, 
बस यूं ही गिरते सम्भलते हम चलना सीख गये 
जिन्दगी के सफ़र की शुरुआत इतनी आसान होती 
तो हम इस तरह दर्द लिये सरेआम ना होते।
जिस तरह सोना तप कर कुंदन बनता है ।
हम बिखर -बिखर कर निखर गये ।

*****उम्मीद की किरण*****


****उम्मीद ,👍ही तो है, जो मैदान छोड़कर जाते हुए को कहती है
चल एक कोशिश👍 ओर करके देखते हैं,
क्या पता? इस उम्मीद
के साथ शायद☺ इस बार हम जीत जायें ,और वही उम्मीद
हमारी कोशिश की चाबी होती है । जो हमारी किस्मत का
ताला खोलने वाली आखिरी चाबी होती है ।

*****उम्मीदें जिन्दगी की भी खास बात होती है।
हारने वाले के हमेशा साथ होती है ।

जीत की उम्मीद देकर हारते हुए को जीता देती है ,
डूबने वाले को तैरना सिखा देती है
आशा की किरण बनकर संघर्ष करना सिखा देती है ****


*💐💐अंतराल के बाद 💐💐*

💐💐



**** जहाँ दादी और पौतों में प्यार की बात है ,यहाँ यही बात सच है कि,असल से सूद अधिक प्यारा होता है ।
परन्तु इतने सालों का फांसला हो तो......सोच का परिवर्तन आवश्य होता है । यूँ तो दादी अपने पौते से बहुत प्यार करती थी ,परन्तु अपने पौते के मनमौजी स्वभाव से अक्सर नाराज़ रहती थी ।☺
💐क्योंकि दादी चाहती थी ,की जैसा मैं कहती हूँ , मेरा पौता वैसा ही करे ,वो अपने ढंग से अपने पौते को चलाना चाहती थी ।
*परन्तु परिवर्तन प्रकृति का नियम है *
दादी ने घर पर ग्रह शान्ति के लिये पूजा रखवाई थी  ,उनके पौते ने पूजा की सारी तैयारी करके दी ,पर दादी की इच्छा थी कि,उनका पौता पूजा की शुरुआत से लेकर पूजा खत्म होने तक पूजा में ही  बैठे ,  और धोती कुर्ता भी पहने । ....पर दादी भी थोड़ी ज्यादा ही जी जिद्द कर रही थी ,उनके पौते ने कभी धोती नही पहनी थी और न ही वो पहनना चाहता था । उसकी और दादी की ऐसी छोटी -मोटी बहस होती रहती थी  ।
पौता अपनी दादी से कह रहा था दादी कपडों से क्या होता है ,और पूजा -पाठ मन की सुन्दर अवस्था है ,क्या फर्क पड़ता है,भगवान हमारे कपड़ों को थोड़े देख रहा है । हम भगवान को कभी भी किसी भी समय कैसे भी याद कर सकते है ,दादी अपने पौते की बातें सुनकर थोड़ा परेशान हो कह रही थी ,ना जाने तुम कब समझोगे की भगवान की पूजा का क्या विधि विधान है, जरा भी त्रुटि हो जाये ना ,तो हमारे भगवान नाराज हो जाते हैं, पोता बोला .... दादी आपके भगवान बड़े जल्दी नाराज होते है ,क्यो ?
*वैसे तो हम गाते हैं ,तुम्ही हो माता पिता तुम्ही हो*,अब आप बताओ माता पिता अपने बच्चों से इतनी जल्दी नाराज हो जाते है क्या ?,उन्हें तो सिर्फ हमारी सच्ची भवनाएं और श्रद्धा ही चाहिए ..... इतने में पूजा जिन्होंने घर पर पूजा करनी थी वो पंडित जी आ गये ,पंडित समझदार थे।

 ,दादी जी की बातें सुनकर बोले दादी जी कोई फर्क नही पड़ता इन्हें इनके तरीके से चलने दो ,परीवर्तन प्रकृति का नियम है ।  *परिवर्तन चक्र निरन्तर अपनी धुरी पर घूम रहा है।
वक्त पल-पल बढ़ता जा रहा है।
सच है ,कि गुजर हुआ वक्त लौट कर
नहीं आता ।*
*अभी इस वक्त जो पल आपके पास है
कल वो पल नहीं होगा ,होंगे उसके जैसे
अन्य पल होगें ,जीवन का एक-एक पल
मूल्यवान है ,इसे व्यर्थ ना करें ,जीवन के
हर पल को भरपूर जियें ,कुछ ऐसे जियें
की आप खुद भी आनन्द में रहें ,और
आपके कारण दूसरे भी आनन्द मे रहें *
परिवर्तन का सबसे बड़ा उदाहरण है
*दिन और रात ,ऋतु परिवर्तन ,परिवर्तन
भी आवयशक है , आप ही सोचिये अगर
दिन के बाद रात न हो और दिन के बाद रात ना
हो तो कैसा जीवन होगा ।
ऋतु परिवर्तन ,गर्मी ,सर्दी ,
बरसात सभी तो आवयशक है
जीवन  के लिये ।
इसी तरह मनुष्य के विचारों
में भी परिवर्तन होता है।आवयशक नहीं की जो विचार मेरे है
 वही विचार आपके भी हों ।
और पीढ़ी दर पीढ़ी भी विचारों में
परिवर्तन होता है और स्वभाविक ही है।
आव्यशक नही की आपकी आने वाली पीढ़ी के विचार
आपसे मेल खायें, ऐसे में दोनों पीढ़ियों को चाहिये की
आपस में सामंजस्य बनाये ,एक दूसरे की भावनाओं की कदर करें ,स्वीकारें की परिवर्तन प्रकृति का नियम है ,अगर परिवर्तन नहीं होगा तो नीरसता भी आ सकती है ,और परिवर्तन यानि प्रग्रति ......💐💐  बशर्ते परिवर्तन में शुभ संस्कारों, सभ्य आचरण, अच्छे विचारों का हनन ना हो, हमारे हृदयों में परस्पर प्रेम की भावना का दीप सदा प्रज्वल्लित रहे **💐💐💐

💐💐जमाना ख़राब है 💐💐

💐💐कुछ लोग आँखों में पर्दे डाल लेते है ,
और कहते हैं कि ज़माना बड़ा खराब है

💐जमाना तो जैसा था ,और जैसा है वैसा ही रहेगा
...क्या पता ये आपके सोचने का .....
   नजरअंदाज करने का अंदाज हो
    बहाने बाजी की बात हो।👍

   क्योंकि जब पत्थर को तराश कर भी
    भागवान की मूर्ति बना पूजी जा सकती है तो
     तो क्या आप ही जैसे किसी इंसान की
      कमियाँ दूर नहीं की जा सकती ।💐

      खाक कहतो हो जमाना खराब है
       अजी ये तो आपके ही देखने का अंदाज है
        पर्दे के पीछे क्या है ,जमाने को भी
         आभास है ।।💐💐💐💐💐

💐💐 ** माँ एक वटवृक्ष**💐💐

 
***** माँ* वो वटवृक्ष है, जिसकी ठंडी छाँव में हर
           कोई सुकून पाता है ।
           माँ की ममता सरिता की भाँति , जीवन को पवित्रता,
           शीतलता, और निर्मलता देकर निरन्तर आगे बढ़ते
           रहने की प्रेरणा देती रहती है ।
           
            मेरा तो मानना है,माँ एक कल्प वृक्ष है ,जहाँ उसके
            बच्चों को सबकुछ मिलता है ,सब इच्छाएं पूरी होती
            हैं ।
           * कभी-कभी माँ कड़वी नीम भी बन जाती है ,
             और रोगों से बचाती है *
           * माँ *दया का सागर ,*अमृत कलश है*
        **दुनियाँ की भीड़ में ,प्रतिस्पर्धा की दौड़ में
           जब स्वयं को आगे पाता हूँ ।
          ये माँ की ही दुआओं का असर है
          जान जाता हूँ ,मैं।*
          वास्तव में माँ एक विशाल वृक्ष ही तो है ,
          जिस तरह *वृक्ष *मौसम की हर मार को सह कर
          स्वयं -हरा भरा रहता है ,और *मीठे पौष्टिक फल* ही
          देता है, ठीक उसी तरह एक *माँ *भी बहुत कुछ
           सहन करके एक सुसंस्कृत,सभ्य ,समाज की स्थापना               को अपनी *संताने* देती है******
           💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

    

**माँ मैं हूँ ना***

**माँ मैं हूँ ना***
*******
"मेरे हाथ पर गरम-गरम चाय गिर गयी थी , जिसकी वज़ह से काफ़ी तकलीफ़ थी ,डॉक्टर को दिखा के दवा भी ले ली थी ।

परन्तु एक बात की चिन्ता थी अगले ही दिन हमारे घर पर गुरु जी आने वाले थे , वो अहमदाबाद से आ रहे थे ,मेर हाथ तो जल हुआ था ,हाथ मे छाले थे ,डॉक्टर ने पानी मे डालने से मना किया था और हाथ मे जख्म भी बहुत था , और हमारी कामवाली भी एक हफ्ते छुट्टी पर थी गाँव गयी हुयी थी ,और कोई भी थोड़े दिन के लिए हमारे घर काम करने को तैयार नहीं थी सब बहुत व्यस्त थी ।

मैं यूँ ही चुपचाप अपने कमरे मे बैठी थी चिता थी कल का काम कैसे होगा ।
इतने में मेरा पन्द्रह साल का बेटा आया और बोला माँ क्या हुआ क्या हाथ में बहुत दर्द है ,मैंने सिर हिलाते हुए कहा नहीं बेटा मैंने दवा ले ली है । बेटा बोला तो फिर आराम कर लो , मैने कहा आराम कैसे करूँ बेटा ,कल अहमदाबाद से गुरु जी और उनके चार शिष्य आ रहें हैं ।,उन्हें भोजन करना होगा ,और मेरे हाथ से कुछ होने वाला नहीं है ,बहुत चिन्ता हो रही है बेटा, ।

थोड़ी देर रुक कर मेरा बेटा बोला चिन्ता मत करो ,माँ मैं हूँ ना
माँ बोली तुम क्या कर लोगे बेटा तुम थोड़ी रसोई का काम कर सकते हो, और कल तुम्हारा एग्जाम भी है,तुम मेरी मदद भी नहीं कर सकते । बेटा बोला माँ मैने कहा सब हो जायेगा , मेरी पढ़ाई भी ,
मैं रात को पढ़ लूँगा, सुबह मैं आपकी मदद से सारा खाना बनाऊंगा ,
अगला दिन था बेटा एग्जाम देकर सुबह दस बजे घर लौट आया था ,।मुझ से पूछ-पूछ कर उसने सारा खाना तैयार किया ।
गुरु जी और उनके चार शिष्यों की मेरे बेटे ने अच्छे से सेवा करी ,गुरु जी ने बहुत प्रस्सन होकर विदा ली मुझे और मेरे बेटे को बहुत आशीर्वाद भी दिये ।
जब गुरु जी चले गये तब मेरे बेटे ने कहा चलो माँ अब हम दोनों भी खाना खा लेते हैं ,खाना वाकई में बड़ा स्वादिष्ट बना था ।
जब सब निपट गया तब मेरा बेटा बोला माँ अब बताओ आप खुश हो ना ,मैंने भी उसके सिर पर हाथ गिरते हुए कहा हाँ बेटा हाँ ।
बेटा बोला माँ आज मदर्स डे है , मैने आपको बोला था ना कि मैं हूँ ना ,और माँ आप
हमारे लिए इतना करती हो क्या मैं आपके लिए इतना भी नही कर सकता क्या ?
माँ यूँ तो हम भारतीयों के लिए तो हर रोज मदर्स डे है । पर आज इस मदर्स डे पर आपका बेटा वादा करता है कि ,जब भी आपको मेरी आव्यशकता महसूस होगी मैं आपके पास होऊँगा ।

**मेरा मसीहा ***

*****  मैं जो भी करता हूँ, मेरे फ़रिश्ते के कहे ,अनुसार करता हूँ  क्या लाभ होगा, मैं नहीं सोचता "मैं" वो करता हूँ ,
 जो सबके हित में होता है ।,

 आसमान से कोई फ़रिश्ता आता है,
 जब में गहरी निंद्रा में होता हूँ ,मेरे सिर
 पर प्यार भरा हाथ रखता है ,मेरा माथा
 चूम कर मुझे दुआओं से भर जाता है ।

 जब मैं नींद से जागता हूँ ,तो अपने
 आस-पास किसी को भी नही पाता हूँ।

 पर उस फ़रिश्ते की महक ,
मेरा घर आँगन महका जाती है
मेंरे चेहरे पर बिन बात के मुस्कराहट
आ जाती है ।

मैं चल रहा होता हूँ अकेला ,परन्तु
कोई मेरे साथ चल रहा होता है ।
मैंने उसे देखा तो नहीं पर वो मेरा
मार्गदर्शन कर रहा होता है ,
मुझे अच्छे से अच्छा कार्य करने को
प्रेरित कर रहा होता है ।

मैं भी उसकी ही बात मानता हूँ
कोशिश करता हूँ जो भी करूँ ,
दूसरों की भलाई के लिऐ करूँ
कोई ऐसा काम ना करूँ जिससे दूसरों
को कष्ट पहुँचे ,वो फ़रिश्ता ,मेरा मसीहा ,
मेरी आत्मा में बैठा परमात्मा है ।
जो हर-पल मेरा मार्गदर्शन करता है ।।*****

आओ अच्छा बस अच्छा सोचें

 आओ कुछ अच्छा सोचें अच्छा करें , अच्छा देखें अच्छा करने की चाह में इतने अच्छे हो जायें की की साकारात्मक सोच से नाकारात्मकता की सारी व्याधिया...